जिस बात पर इतराती मैं
वही बात छूट गयी l
तू मरहम लगा देता शायद
पर तुझे जख्म दिखाना भूल गयी l
शोर संभालते-संभालते
चीखना-चिल्लाना भूल गयी
मदद करो "हे माधव" मेरी
मैं समय-काल में बंध गयी l
अपने पथ पर चलते-चलते
ना जाने किधर भटक गयी l
मोह-माया में जकर गयी हूँ
कुछ भी तय करना हुआ मुश्किल l
"हे माधव"
अब तुम ही कोई दिखाओ मार्ग
मैं तुम्हारे आगे आकर रुक गयी l
तुम जो कर दोगे तय
सच कहती हूँ माधव
मैं बस उसी ओर जाऊँगी l
तेरे सिवा किसी और को
अपना दर्द क्या बताऊंगी
तू जो भी कर देगा तय
मैं सबकुछ सह जाऊँगी l
©Roshani Thakur