जिस बात पर इतराती मैं वही बात छूट गयी l तू मरहम ल | हिंदी Shayari

"जिस बात पर इतराती मैं वही बात छूट गयी l तू मरहम लगा देता शायद पर तुझे जख्म दिखाना भूल गयी l शोर संभालते-संभालते चीखना-चिल्लाना भूल गयी मदद करो "हे माधव" मेरी मैं समय-काल में बंध गयी l अपने पथ पर चलते-चलते ना जाने किधर भटक गयी l मोह-माया में जकर गयी हूँ कुछ भी तय करना हुआ मुश्किल l "हे माधव" अब तुम ही कोई दिखाओ मार्ग मैं तुम्हारे आगे आकर रुक गयी l तुम जो कर दोगे तय सच कहती हूँ माधव मैं बस उसी ओर जाऊँगी l तेरे सिवा किसी और को अपना दर्द क्या बताऊंगी तू जो भी कर देगा तय मैं सबकुछ सह जाऊँगी l ©Roshani Thakur"

 जिस बात पर इतराती मैं 
वही बात छूट गयी l
तू मरहम लगा देता शायद 
पर तुझे जख्म दिखाना भूल गयी l
शोर संभालते-संभालते 
चीखना-चिल्लाना  भूल गयी 
मदद करो "हे माधव" मेरी 
मैं समय-काल में बंध गयी l
अपने पथ पर चलते-चलते 
ना जाने किधर  भटक  गयी l
मोह-माया में जकर गयी हूँ 
कुछ भी तय करना हुआ मुश्किल l
"हे माधव" 
अब तुम ही कोई दिखाओ मार्ग 
मैं तुम्हारे आगे आकर रुक गयी l
तुम जो कर दोगे तय 
सच कहती हूँ माधव 
मैं बस उसी ओर जाऊँगी l
तेरे सिवा किसी और को 
अपना दर्द क्या बताऊंगी 
तू जो भी कर देगा तय 
मैं सबकुछ सह जाऊँगी l

©Roshani Thakur

जिस बात पर इतराती मैं वही बात छूट गयी l तू मरहम लगा देता शायद पर तुझे जख्म दिखाना भूल गयी l शोर संभालते-संभालते चीखना-चिल्लाना भूल गयी मदद करो "हे माधव" मेरी मैं समय-काल में बंध गयी l अपने पथ पर चलते-चलते ना जाने किधर भटक गयी l मोह-माया में जकर गयी हूँ कुछ भी तय करना हुआ मुश्किल l "हे माधव" अब तुम ही कोई दिखाओ मार्ग मैं तुम्हारे आगे आकर रुक गयी l तुम जो कर दोगे तय सच कहती हूँ माधव मैं बस उसी ओर जाऊँगी l तेरे सिवा किसी और को अपना दर्द क्या बताऊंगी तू जो भी कर देगा तय मैं सबकुछ सह जाऊँगी l ©Roshani Thakur

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