चैन बेच कर गर ख़ुशियाँ पाई है
फिर तो उदास रहने में भलाई है
बद-हवासी से भरे इस कलजुग में
जिस्म दरअस्ल एक हसीन बुराई है
मुझे डर है तू फिर से चली जाएगी
इसपे ख़ुश नहीं कि तू लौट आई है
आॅनलाइन चल रही इस दुनिया में
मिलना इस क़दर भी एक जुदाई है
हुस्न ही सबसे बुरा ज़हर है और
हुस्न ही सबसे अच्छी दवाई है..!
- Pratyush Raunak.
चैन बेच कर गर ख़ुशियाँ पाई है
फिर तो उदास रहने में भलाई है
बद-हवासी से भरे इस कलजुग में
जिस्म दरअस्ल एक हसीन बुराई है
मुझे डर है तू फिर से चली जाएगी
इसपे ख़ुश नहीं कि तू लौट आई है