चाहे कड़कती धूप लगे या ठंड में ठिठुरता बदन, फौजिय | हिंदी शायरी

"चाहे कड़कती धूप लगे या ठंड में ठिठुरता बदन, फौजियों की हर सांस लगी है हिफ़ाजतें वतन..! ©Mani"

 चाहे कड़कती धूप लगे या ठंड में ठिठुरता बदन, 
फौजियों की हर सांस लगी है हिफ़ाजतें वतन..!

©Mani

चाहे कड़कती धूप लगे या ठंड में ठिठुरता बदन, फौजियों की हर सांस लगी है हिफ़ाजतें वतन..! ©Mani

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