ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उन की गली में मेरा जाने शरम

"ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उन की गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह"

 ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उन की गली में मेरा
जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह

ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उन की गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह

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