वो तुमसे किसी कि शिकायते नहीं करती है
बस अपने मन कि बात किया करती है
माना कि थोड़ी गलत होती है वो
लेकिन हर बार वो ही गलत है ये तो नहीं होता।
जो कहते हो तुम उसको समझने को
क्यों तुम ये नहीं समझते की वो थक गई है
जो हर बार वो एक ही बात से उदास होती है
तो क्यूं नहीं समझते कि हार गई है वो
अब जिंदगी से तो नहीं लेकिन
अपनो से वो जीत नहीं सकती।
कैसे बताए वो तुम्हे कितने अकेली हो जाती है वो
जब उसकी उम्मीदें टूट जाया करती है
जब उसके अपने ही उससे रूठ जाया करते है।
हर बात तुम्हे बताती है ये सोच कर की तुम तो समझोगे
शायद तुम तो सुनोगे
बिना किसी शिकायत बिना किसी संदेह के
तुम समझोगे और सुनोगे।
सुनो, वो तुमसे किसी कि शिकायते नहीं करती है
बस अपने मन कि बात किया करती है।।
©Kumari Shakshi
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