#FourLinePoetry सजना तो आज भी है, पर इतरा ना पाओगे
रोयेंगे तो सब पर, तुम हँसा नहीं पाओगे
फुर्सत तो बोहोत मिलेगी, हिसाब लगा भी लोगे
छूट गए वोह रिश्तों को, अब जुटा नहीं पाओगे
क्या खोया क्या पाया, अब इसका कोई मोल नहीं
तुम्हारे कांटों के जख्मों को, अब मिटा नहीं पाओगे
अब आयेंगे तो लोग, तुम्हें सम्मान से पहुंचाने
तुम चाहोगे भी दिल से, अब लौट नहीं पाओगे
आतिश सोनार
©Atish Sonar
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