#IFPStorytelling किश्ते अदा हो गई रस्मे रिश्तों की,वो जो पल रहे थे,आस्तीन में मेरी बाजुओं की//१
*गुज़िश्ता बरस कई लोग मर गए वतन के,मगर*हाजते ज़िंदा रही,रोटी और मकानों की/२
*बीते वर्ष,*जरूरते
अभी तमाम आदतें मुझमें है,मेरे पुरखो की,मै गम दूर करती रहती हूँ अपने और *बेगानो की//३
*पराया