बहुत देखे है मंजर इन नजरो ने मेरी मंजिले रुसवा हो | हिंदी शायरी

"बहुत देखे है मंजर इन नजरो ने मेरी मंजिले रुसवा हो गई । कई ख्वाब कब्रो मे दफन हुए कई सराए उजड गई। कई साहिफो मे मेरा नाम लिखा कई राहे बंजर हो गई । ये कैसी खुदा दुनियादारी तेरी यहा जन्नत भी बदनाम हुई। ©Miraan ruth Nagvansiya"

 बहुत देखे है मंजर इन नजरो ने
मेरी मंजिले रुसवा हो गई ।
कई ख्वाब कब्रो मे दफन हुए 
कई सराए उजड गई।
कई साहिफो मे मेरा नाम लिखा 
कई राहे बंजर हो गई ।
ये कैसी खुदा दुनियादारी तेरी 
यहा जन्नत भी बदनाम हुई।

©Miraan ruth Nagvansiya

बहुत देखे है मंजर इन नजरो ने मेरी मंजिले रुसवा हो गई । कई ख्वाब कब्रो मे दफन हुए कई सराए उजड गई। कई साहिफो मे मेरा नाम लिखा कई राहे बंजर हो गई । ये कैसी खुदा दुनियादारी तेरी यहा जन्नत भी बदनाम हुई। ©Miraan ruth Nagvansiya

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