पुरुष
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तुम नीर नदी की
मैं समंदर गहरा हूँ l
तुम उछल-कूद करती बहती रहती हो l
मैं सबको धरता रहता हूँ l
तुम मन-मर्जी की मालिक हो
मैं सबका मन रखने बाला l
स्त्री
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शौर्य तुम्हारी गाथा है
मैं धर्य की माता हूँ l
मौन तुम्हारा गंभीर बड़ा
मौन मेरी,मृत्य है l
तुमसे जो संसार है चलता
मुझसे ही तो बस्ता है l
किस चिंतन में जा रहे
मुझमें तुम्हारा जीवन है
और
मेरा जीवन तुमसे है l
©Roshani Thakur
#AkelaMann