White हर शख्स मुकम्मल है मजारों में ,रोशनी थी जिन | हिंदी शायरी

"White हर शख्स मुकम्मल है मजारों में ,रोशनी थी जिनसे कभी बाजारों में ,फिर क्यों गिने हम एक को हजारों में ©अनुराग अचल"

 White हर शख्स मुकम्मल है
 मजारों में ,रोशनी थी जिनसे कभी 
बाजारों में ,फिर क्यों गिने 
हम एक को हजारों में

©अनुराग अचल

White हर शख्स मुकम्मल है मजारों में ,रोशनी थी जिनसे कभी बाजारों में ,फिर क्यों गिने हम एक को हजारों में ©अनुराग अचल

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