पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि कहीं कोई और इसी सं | हिंदी कविता Video

"पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि कहीं कोई और इसी संशय में रुकी हुई है की लोग क्या कहेंगे, मेरे भी कुछ कर्त्तव्य हैं, और ये सब सोच-सोच कर अपने आपको कष्ट दे रही है, सबकुछ जानते हुए भी की  उसकी दुनियां कहीं और है जहां उसे असीमित प्रेम मिलेगा, अपने अनुरूप खुशी से जीने की वजह मिलेगी और वो सबकुछ कर सकेगी अपनी इच्छा से , सबकुछ करवा सकेगी अपने आदेश से बिल्कुल दबंग की तरह, जिसपर कोई रोक टोक नहीं होगी। पर वो बात ही नहीं मानती। लेकिन एक दिन मानेगी जरूर और तब अपनी इच्छानुसार निकल पड़ेगी अपनी नई सी, एक खूबसूरत दुनियां में। ©Saurabh jha "

पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है कि कहीं कोई और इसी संशय में रुकी हुई है की लोग क्या कहेंगे, मेरे भी कुछ कर्त्तव्य हैं, और ये सब सोच-सोच कर अपने आपको कष्ट दे रही है, सबकुछ जानते हुए भी की  उसकी दुनियां कहीं और है जहां उसे असीमित प्रेम मिलेगा, अपने अनुरूप खुशी से जीने की वजह मिलेगी और वो सबकुछ कर सकेगी अपनी इच्छा से , सबकुछ करवा सकेगी अपने आदेश से बिल्कुल दबंग की तरह, जिसपर कोई रोक टोक नहीं होगी। पर वो बात ही नहीं मानती। लेकिन एक दिन मानेगी जरूर और तब अपनी इच्छानुसार निकल पड़ेगी अपनी नई सी, एक खूबसूरत दुनियां में। ©Saurabh jha

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