परिवर्तन गुन गुनाता हैं मन अरे ये कैसा परिवर्तन अ | English Poetry Vid

"परिवर्तन गुन गुनाता हैं मन अरे ये कैसा परिवर्तन अपने बैठे हैं मौन न जाने किस बात से है अनबन भाई भाई के लिए विष हो गया। अर्थ में इस तरह लिप्त हो गया।। अपने सुख से कोई खुश नहीं। दूसरे के सुख पर दुखी सभी।। धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।। उपभोग-भोग में सुख डून रहा है।। आदमी इतना क्रूर हो गया है। अपनों के साथ शतरंज खेल रहा है।। अनचाहे शब्दों का विकास हो गया है। सामंजस्य के संवाद पर ग्रहण लग गया घंटी बजाते दुआ करते फिरते। देखो घर में देवता भूखे मरते ।। हम उतावले समय में जी रहे हैं। प्रेम सौंदर्य खरीदने में लगे हैं। गुन गुनाता है मन ये कैसा परिवर्तन"

परिवर्तन गुन गुनाता हैं मन अरे ये कैसा परिवर्तन अपने बैठे हैं मौन न जाने किस बात से है अनबन भाई भाई के लिए विष हो गया। अर्थ में इस तरह लिप्त हो गया।। अपने सुख से कोई खुश नहीं। दूसरे के सुख पर दुखी सभी।। धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।। उपभोग-भोग में सुख डून रहा है।। आदमी इतना क्रूर हो गया है। अपनों के साथ शतरंज खेल रहा है।। अनचाहे शब्दों का विकास हो गया है। सामंजस्य के संवाद पर ग्रहण लग गया घंटी बजाते दुआ करते फिरते। देखो घर में देवता भूखे मरते ।। हम उतावले समय में जी रहे हैं। प्रेम सौंदर्य खरीदने में लगे हैं। गुन गुनाता है मन ये कैसा परिवर्तन

#development #Love #Heart #follow

#Geetkaar

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