एक दूसरे को बेजत्ती करना तो रोज़ का काम है,
कोई और हमे बेजत्ती करे कहा किसी मे दम है।
उधम काटने की आदत सी हो गई,
खुराफाते करना तो जैसे जरुरी है।
ये हमारी आदत नहीं खूबियां हैं।
ये भाई -बहन की अपनी भाषा है।।
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डाट से हमारा दिन शुरु होता,
चुगली किए बिन खाना कहा हज़म होता।
पीटते - पिटाते रात होती,
“to be countinued...” तकरार से दिन खत्म होता।
ये खट्टी - मीठी नोक झोंक है।
ये भाई -बहन की अपनी भाषा है।।
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©_sa _anjh
#yebhaibehankiapnibhashahai