ख़ामोशी तू हुई इस कदर मुझसे खामोश ,
कि जिंदगी में तन्हा मैं हो गया।
तेरी तन्हाईयो का तो न पता
न ही तेरी खामोशी का पता ।।
तेरी तन्हाइयो और खामोशी की वजह मैं ना हूँ ,
ये तो तुम भी जानती हो
इतना तो मुझे भी यकीन हैं।।
यही यकीन अगर उसको भी होता ,
कम्बख्त आज वो खामोश ही न होती।।
खामोशी