दूर दूर तक तेरी ख़्वाबों में खोयी थी
तेरी यादों की बिस्तर पे आँशु बहा रही थी
ये उदाश हवाएं भी मुस्कुराने लगी
मेरी प्यार की पागलपन को देख
मुझसे ये कहने लगी
क्यों बहा रही तू अपनी अनमोल आँशु उसके लिए जो तुझे ही छोड़ गया गैरों के लिए ।।
अब भूल क्यों नहीं जाती तू उसे
क्यों उम्मीद पाल रही औऱ अपनों से तु भाग रहीं। दफन कर दे अब उन यादों को औऱ जिले आज के लम्हों को।
तब मैंने भी मुस्कुरा कर बोल दिया
तुझे तो आदत है बेवफाई सहने कि
पर मैं नहीं सह सकती इस बेवफाई को।
माना कि वो मुझसे दूर चला गया।
यादों को नहीं पर वादों को तोड़ गया।
थोड़ा जी लेने दो उन यादों के संग
बहा लेने दे आँशु इस पल।
प्यार हैं वो मेरा , वो नहीं साथ तो क्या
उसकी दि हुई यादे ही है मेरी खुशियों का सवेरा।।
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