तनहाई तेरी हो और एक गीत तेरा हो,
उसमें नाम मेरा हो और जिक्र मेरा हो।
कभी रो लेना अकेले जब भी तू चाहे,
आंखें तेरी हो पर उनमें आंसू मेरा हो।
महफिल में तू भी अकेला होगा कभी,
तुझे एहसास हो और वह दर्द मेरा हो।
शायद अब लौट कर ना पाऊं कभी,
तुझे नजर आए जो वो साया मेरा हो।
शायद नहीं मिले तुझे कोई निशां मेरा,
पर तेरी याद का, हर लम्हा मेरा हो।
अजय "आवारा"
©Suraj Jain
Suraj