कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं लोग अब खुद का जनाजा

"कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो खून की छींटे बदन से धो रहे हैं ओ किले के बादशाह हथियार भेजो जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं हम अंधेरों को यहां जो लाए चुन के अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं आशीष प्रकाश © ©kavi ashish prakash"

 कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं
लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं

कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो
खून की छींटे बदन से धो रहे हैं

ओ किले के बादशाह हथियार भेजो
जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं

हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के
पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं

शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा
दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं

हम अंधेरों को यहां जो लाए  चुन के
अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं

आशीष प्रकाश ©

©kavi ashish prakash

कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो खून की छींटे बदन से धो रहे हैं ओ किले के बादशाह हथियार भेजो जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं हम अंधेरों को यहां जो लाए चुन के अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं आशीष प्रकाश © ©kavi ashish prakash

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