Men walking on dark street ना जाने कितने फासलें थे | हिंदी Shayari Vid

"Men walking on dark street ना जाने कितने फासलें थे उन से जिन्हें हम अपने कहते गए। हम अजनबी बन कर उन के दिल मे उतरते गए और वो हमे अपना सूकुन-ए घर कहते गए। आज आलम हैं बरसात का जुदाई का वक्त के साथ बेबफाई का ,वक्त की तनहाई का। हम भी एक एक ईट तोड़ कर उनको देकर खुद को उन के घर से बेघर करते गए। ©Manisha patel journey of realization "

Men walking on dark street ना जाने कितने फासलें थे उन से जिन्हें हम अपने कहते गए। हम अजनबी बन कर उन के दिल मे उतरते गए और वो हमे अपना सूकुन-ए घर कहते गए। आज आलम हैं बरसात का जुदाई का वक्त के साथ बेबफाई का ,वक्त की तनहाई का। हम भी एक एक ईट तोड़ कर उनको देकर खुद को उन के घर से बेघर करते गए। ©Manisha patel journey of realization

#Emotional

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