गैरों ने मुझे अपना और अपनों ने मुझे गैर समझा है यह | हिंदी कविता

"गैरों ने मुझे अपना और अपनों ने मुझे गैर समझा है यह तो वक्त की बात है जनाब पहले पसीने की कीमत थी अब तो पसीना भी बिकता है जिंदगी के उस मोड़ पर हूं मैं जहां... नींद नहीं आंखों में अब तो हर पल बेचैन रहता हूं खोई खोई यादों में अक्सर खुद से बातें करता हूं ©MUKESH KUMAR choudhary"

 गैरों ने मुझे अपना और अपनों ने मुझे गैर समझा है यह तो वक्त की बात है जनाब पहले पसीने की कीमत थी अब तो पसीना भी बिकता है जिंदगी के उस मोड़ पर हूं मैं जहां...
नींद नहीं आंखों में अब तो हर पल बेचैन रहता हूं खोई खोई यादों में अक्सर खुद से बातें करता हूं

©MUKESH KUMAR choudhary

गैरों ने मुझे अपना और अपनों ने मुझे गैर समझा है यह तो वक्त की बात है जनाब पहले पसीने की कीमत थी अब तो पसीना भी बिकता है जिंदगी के उस मोड़ पर हूं मैं जहां... नींद नहीं आंखों में अब तो हर पल बेचैन रहता हूं खोई खोई यादों में अक्सर खुद से बातें करता हूं ©MUKESH KUMAR choudhary

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