मां तेरे लिए कुछ खयाल लिखने थे, जो लम्हे याद आए उनके एहसास लिखने थे,
बातों ही बातों में तेरा जिक्र आया,
आज कल जब मैं घर से ऑफिस निकलता हूं ना,
तो मां वो तेरा स्कूल वाला लंच बॉक्स याद आया,
ऑफिस से आने के बाद थकान जाती नहीं हैं बस थक कर सो जाता हूं,
बचपन की तरह सर रख सकूं तेरी गोद में वो अंचल नज़र ना आया,
जब भी तू दूध से छाछ बनाती थी, उसका जो मक्खन तूने मुझे खिलाया
आज वो याद आया,