Unsplash तू समझता है तेरा हिज्र गवारा कर के बैठ जा | हिंदी शायरी

"Unsplash तू समझता है तेरा हिज्र गवारा कर के बैठ जाएँगे मोहब्बत से किनारा कर के ख़ुदकुशी करने नहीं दी तेरी आँखों ने मुझे लौट आया हूँ मैं दरिया का नज़ारा कर के इसलिए उसको दिलाता हूँ मैं ग़ुस्सा 'ताबिश' ताकि देखूँ मैं उसे और भी प्यारा कर के - Abbas Tabish ©Er Aryan Tiwari"

 Unsplash तू समझता है तेरा हिज्र गवारा कर के
बैठ जाएँगे मोहब्बत से किनारा कर के

ख़ुदकुशी करने नहीं दी तेरी आँखों ने मुझे
लौट आया हूँ मैं दरिया का नज़ारा कर के 

इसलिए उसको दिलाता हूँ मैं ग़ुस्सा 'ताबिश'
ताकि देखूँ मैं उसे और भी प्यारा कर के

  - Abbas Tabish

©Er Aryan Tiwari

Unsplash तू समझता है तेरा हिज्र गवारा कर के बैठ जाएँगे मोहब्बत से किनारा कर के ख़ुदकुशी करने नहीं दी तेरी आँखों ने मुझे लौट आया हूँ मैं दरिया का नज़ारा कर के इसलिए उसको दिलाता हूँ मैं ग़ुस्सा 'ताबिश' ताकि देखूँ मैं उसे और भी प्यारा कर के - Abbas Tabish ©Er Aryan Tiwari

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