Unsplash भटक चुकी हूँ तेरी यादों के शहर में, तेरे | हिंदी शायरी

"Unsplash भटक चुकी हूँ तेरी यादों के शहर में, तेरे दिए दर्द से जिस्म मेरा पिघल रहा है। निकलता था जिन लबों से मोहब्बत का तराना कभी, आज वही तराना तन्हाई में बदल रहा है। ©Amrit Yadav"

 Unsplash भटक चुकी हूँ तेरी यादों के शहर में, 
तेरे दिए दर्द से जिस्म मेरा पिघल रहा है।

निकलता था जिन लबों से मोहब्बत का तराना कभी, आज वही तराना तन्हाई में बदल रहा है।

©Amrit Yadav

Unsplash भटक चुकी हूँ तेरी यादों के शहर में, तेरे दिए दर्द से जिस्म मेरा पिघल रहा है। निकलता था जिन लबों से मोहब्बत का तराना कभी, आज वही तराना तन्हाई में बदल रहा है। ©Amrit Yadav

#lovelife #amrit

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