रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम।
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।
जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम।
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।
सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।
सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀
©बेजुबान शायर shivkumar
रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम।
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।
जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम।
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।
सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।