नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की.., मिठी मिठी महक | हिंदी कविता

"नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की.., मिठी मिठी महक बनी मेरे आँगन की.., काले काले मेघा उमड़ कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। मद्धम मद्धम आस लगी अब गायन की.., बेसुद पायल भी याद करें नर्तन की..। तीखी तीखी बिजली चमक कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। बहकी बहकी बहे अब चाल पवन की.., मन की उमंग पढ़े अब बात धड़कन की.., कोयल के मीठे गीत घुल कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की.., मिठी मिठी दवा बनी मेरे उलझन की.., रंग तरंग इंद्र धनुष बनकर गगन में.., सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। कवि आनंद दाधीच, बेंगलूरु ©Anand Dadhich"

 नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की..,
मिठी मिठी महक बनी मेरे आँगन की..,
काले काले मेघा उमड़ कर गगन में..
सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..।

मद्धम मद्धम आस लगी अब गायन की..,
बेसुद पायल भी याद करें नर्तन की..।
तीखी तीखी बिजली चमक कर गगन में.. 
सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..।

बहकी बहकी बहे अब चाल पवन की..,
मन की उमंग पढ़े अब बात धड़कन की..,
कोयल के मीठे गीत घुल कर गगन में..
सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..।

नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की..,
मिठी मिठी दवा बनी मेरे उलझन की.., 
रंग तरंग इंद्र धनुष बनकर गगन में..,
सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..।

कवि आनंद दाधीच, बेंगलूरु

©Anand Dadhich

नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की.., मिठी मिठी महक बनी मेरे आँगन की.., काले काले मेघा उमड़ कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। मद्धम मद्धम आस लगी अब गायन की.., बेसुद पायल भी याद करें नर्तन की..। तीखी तीखी बिजली चमक कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। बहकी बहकी बहे अब चाल पवन की.., मन की उमंग पढ़े अब बात धड़कन की.., कोयल के मीठे गीत घुल कर गगन में.. सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। नन्ही नन्ही बूँदे रिमझिम सावन की.., मिठी मिठी दवा बनी मेरे उलझन की.., रंग तरंग इंद्र धनुष बनकर गगन में.., सीली सीली याद दिलाएँ साजन की..। कवि आनंद दाधीच, बेंगलूरु ©Anand Dadhich

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