एक सुलझा सा आसमां जिसके नीचे बेपारवाह हम थे नाचते, | हिंदी Poetry Vide

"एक सुलझा सा आसमां जिसके नीचे बेपारवाह हम थे नाचते, हाथों में हाथ थामे नन्हें -नन्हें कदमों से कुछ ही दूरी में सोचते थे कि हम पूरी दुनियां है नापते , छोटे से थे सपने हमारे खेल - खिलौनों में सिमटे थे सारे मां का आंचल और पिता का पकड़े हाथ, जहां ले जाएं निश्चिंत चल देते थे उनके साथ ऐसा था बचपन खाश.... ©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital "

एक सुलझा सा आसमां जिसके नीचे बेपारवाह हम थे नाचते, हाथों में हाथ थामे नन्हें -नन्हें कदमों से कुछ ही दूरी में सोचते थे कि हम पूरी दुनियां है नापते , छोटे से थे सपने हमारे खेल - खिलौनों में सिमटे थे सारे मां का आंचल और पिता का पकड़े हाथ, जहां ले जाएं निश्चिंत चल देते थे उनके साथ ऐसा था बचपन खाश.... ©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital

#bachpan

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