एक सुलझा सा आसमां
जिसके नीचे बेपारवाह
हम थे नाचते,
हाथों में हाथ थामे
नन्हें -नन्हें कदमों से
कुछ ही दूरी में
सोचते थे कि हम
पूरी दुनियां है नापते ,
छोटे से थे सपने हमारे
खेल - खिलौनों में सिमटे थे सारे
मां का आंचल और
पिता का पकड़े हाथ,
जहां ले जाएं निश्चिंत
चल देते थे उनके साथ
ऐसा था बचपन खाश....
©Meenu pant Tripathi Haldwani Nainital
#bachpan