प्रेम, क्या है,?
अनभिज्ञ होते हुए भी,
**""मुझे प्रेम है""**,
ये कहना प्रेम नहीं क्या?
प्रेम नहीं जानते हुए कि क्या, कैसे, क्यूँ,
फिर भी बार बार किसी को बेइंतहा चाहते रहना,
प्रेम नहीं कहलायेगा क्या?
राधे सा प्रेम कैसा है, सती का समर्पण मै जानू ना,
माता सीता जैसी मै हूँ कहा, मीरा सा वियोग मुझमे कहा,
फिर भी कहना
*""मुझे प्रेम है ""*,
ये कहना प्रेम नहीं क्या?
""प्रेम, क्या है,?
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©Suman Banshiwal
#chaandsifarish