तेरे सुख और दुख का मैं साझी बन सकता हूं, आप जैसा | हिंदी Shayari

"तेरे सुख और दुख का मैं साझी बन सकता हूं, आप जैसा कहो, वैसा मैं "हा जी" बन सकता हूं। और शाहजहां बनने की ख्वाहिश नहीं है मुझमें मगर , मैं तुम्हारे लिए साथी दशरथ मांझी बन सकता हूं... - वीरा अनजान , ©Bir Bahadur Singh"

 तेरे सुख और दुख का मैं साझी बन सकता हूं,  
आप जैसा कहो, वैसा मैं "हा जी" बन सकता हूं।  
और शाहजहां बनने की ख्वाहिश नहीं है मुझमें मगर , 
 मैं तुम्हारे लिए साथी दशरथ मांझी बन सकता हूं...

- वीरा अनजान












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©Bir Bahadur Singh

तेरे सुख और दुख का मैं साझी बन सकता हूं, आप जैसा कहो, वैसा मैं "हा जी" बन सकता हूं। और शाहजहां बनने की ख्वाहिश नहीं है मुझमें मगर , मैं तुम्हारे लिए साथी दशरथ मांझी बन सकता हूं... - वीरा अनजान , ©Bir Bahadur Singh

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