मैं तब भी मैं ही था और तुम तुम पर मैं तुम्हारे लिए | हिंदी Shayari

"मैं तब भी मैं ही था और तुम तुम पर मैं तुम्हारे लिए बो मैं नही बन पाया जिस की जरूरत तूमे थी और तुम बो नही बन पाई जिस की तलाश मै कर रहा था हम दोनो के एक दूसरे के लिए उम्र भर का साथ तो सोच रखा था पर ये उम्र भर सिर्फ हमारे जेहेंन मैं था किस्मत मैं नही बक्त हम से कुछ और चाहता था शायद इसलिए ना मैं तुम्हारा बन पाया ना मेरे तुम विजय... ©shidha sadha banda"

 मैं तब भी मैं ही था और तुम तुम
पर मैं तुम्हारे लिए बो मैं नही बन पाया जिस की जरूरत तूमे थी
और तुम बो नही बन पाई जिस की तलाश मै कर रहा था
हम दोनो के एक दूसरे के लिए उम्र भर का साथ तो सोच रखा था
पर ये उम्र भर सिर्फ हमारे जेहेंन मैं था
किस्मत मैं नही
बक्त हम से कुछ और चाहता था
शायद इसलिए
ना मैं तुम्हारा बन पाया
ना मेरे तुम


विजय...

©shidha sadha banda

मैं तब भी मैं ही था और तुम तुम पर मैं तुम्हारे लिए बो मैं नही बन पाया जिस की जरूरत तूमे थी और तुम बो नही बन पाई जिस की तलाश मै कर रहा था हम दोनो के एक दूसरे के लिए उम्र भर का साथ तो सोच रखा था पर ये उम्र भर सिर्फ हमारे जेहेंन मैं था किस्मत मैं नही बक्त हम से कुछ और चाहता था शायद इसलिए ना मैं तुम्हारा बन पाया ना मेरे तुम विजय... ©shidha sadha banda

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