बुरे वक़्त मे ये सोचकर संभल जाती हु के
रब है मेरे साथ, मगर
कभी कभी कुछ यादो से बिखर जाती हु,
अब उन बिखरे जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ मै
जानती हु के कोई हमेशा के लिए साथ नहीं रहता,
ना ही कोई हमेशा साथ देता है,
फिर भी पता नहीं क्यों सबसे उमीदें रहती
अब उन उम्मीदों को लेकर कहाँ जाऊँ मै
जो अपने नहीं हैं उनके दिए जख्म भूल जाती हु,
अपनों के दिए ज़ख्मो पर मुस्कुराहटो का महरम लगाती हु
मगर कभी कभी ये आँखें साथ नहीं देती
अब इन भीगी पलकों को लेकर कहाँ जाऊँ मै
©बेजुबान शायर shivkumar
बुरे वक़्त मे ये सोचकर #संभल जाती हु के
रब है मेरे साथ, मगर
कभी कभी कुछ #यादों से बिखर जाती हु,
अब उन बिखरे #जज़्बातों को लेकर कहाँ जाऊँ मै
जानती हु के कोई हमेशा के लिए साथ नहीं रहता,
ना ही कोई हमेशा साथ देता है,
फिर भी पता नहीं क्यों सबसे #उमीदें रहती