सुनने में आया......कि मुखौटे चेहरे की वास्तविकता ढूंढने निकले
शक की नजर से... हम जमाना देखते रहे ,पर विभीषण ...तो अपने ही लंका में निकले
ताउम्र कुम्हार पर अयोग्यता का दोष मडते रहे....और अंत में ...कंकड़ तो अपनी ही मिट्टी में निकले
-aks (khud se khud tk)
#aks # "khud se khud Tk ka safar"