"सांझा कर लेते हैं गम।
रात दिन से कहे जैसे
सुबह होने पर।
सांझा कर लेते हैं गम
चांद करता है जैसे
चांदनी के रूठने पर।
सांझा कर लेते हैं गम
अक्श करता है जैसे
शीशे के चटकने पर।
सांझा कर लेते हैं गम
कली करती है जैसे
भंवरे के भटकने पर।
@neelu
©Neelam Sharma
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