हर साल की तरह ये साल भी बित चुका....
कुछ खट्टी मिट्ठी यादो का काफिला दे गया....
कुछ अपने छूटे तो कुछ परयो से अपनों सा नाता जुड़ चुका....
कुछ कहानी प्यार भरी तो कुछ आंशुओ का तूफान दे गया....
चलो अब जाए भी दो....
शिकायतों का दौर ख़तम होने भी दो....
कुछ यादो को नए साल में बेहेने दो...
कुछ पुराने ज़ख्मो को इस साल की तरह यही ठहर जाने दो....
तोड़ दो गम के वो दरवाज़े....
एक नयी उम्मीद के साथ होसलो की उड़ान भरने दो....
जाने भी दो जो बित चूका....
अब नए साल के स्वागत में नयी खुशिओ का स्वागत करने दो....
बोहोत जी चुके मर मर के....
अब खुल कर ज़िंदगी को जीने भी दो.....
आने दो नए साल को.... बाहे फैला कर नयी उम्मीद के साथ खुशिओ से स्वागत करने दो....
अब सारे सपनो में रंग फिर से भरने दो....
बादलो को चिर कर परिंदो को उड़ने दो....
फेक दो पुराने दर्द की किताब...
अब नयी स्याही से नयी कहानी लिखने दो....
अब खुशी से नए साल का स्वागत करने दो....
©priya300717