इक रात वो भी आएगी,
तेरी बेवफाई तुझे तड़पाएगी,
जब तुम सो ना पाओगे,
खुलकर कभी रो ना पाओगे,
लाल आँखों की हैरान लकीरें,
जला दी जो सारी ही तस्वीरें,
जख्मों की सुचियाँ ना पढ़ पाओगे,
दिल से ऊठते धुंएँ को ना बुझा पाओगे,
दर्द की आँधियों को ना गिन पाओगे,
आँखों से अश्रु धाराएं सुखा ना पाओगे,
मछली का कोई जाल बिछा ना पाओगे,
पास पडा़ कंकड़ पर,उछाल ना पाओगे,
खुदको सीमाओं में बांध ना पाओगे,
पाँव चादर से बाहर निकाल ना पाओगे,
देखोगे क्ई फूल पर,प्यार ना कर पाओगे,
मुंडेरों पर पडे़ गमले सजा ना पाओगे,
चुंभेंगे तुमको कांटे पर,निकाल ना पाओगे,
लाल आँखों की हैरान लकीरें,
जला दी जो सारी ही तस्वीरें,
बोलो खुदको कहाँ छुपाओगे।
©vks Siyag
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