"#डर मत भागो अब तुम्हें किस का डर है,
छोड़ चुकी मुझे फिर कैसी फ़िकर है,
इतनी शिद्दत से चाहा था मैंने तुम्हें
बेवफाई का खड़ा किया ये मंज़र है।
क़त्ल कर दिया तुमने अरमानों का
बिना हाथ में थामें कोई खंजर है।
कल जिस पर थे बहारों के फूल
आज दिले जमीं हो गई बंजर है!
©SumitGaurav2005
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