जिसकी यादों से रिहाई नहीं मुमकिन लेकिन वो समझता ही | हिंदी Shayari

"जिसकी यादों से रिहाई नहीं मुमकिन लेकिन वो समझता ही नहीं अपना गिरफ्तार मुझे ©Mohd Amir"

 जिसकी यादों से रिहाई नहीं मुमकिन लेकिन
वो समझता ही नहीं अपना गिरफ्तार मुझे

©Mohd Amir

जिसकी यादों से रिहाई नहीं मुमकिन लेकिन वो समझता ही नहीं अपना गिरफ्तार मुझे ©Mohd Amir

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