बरसों से जिसकी तलाश में थे, उसका एक अंश मुझमें ही | हिंदी कविता Video

"बरसों से जिसकी तलाश में थे, उसका एक अंश मुझमें ही कहीं दबी रेह गई थी...! और वो मुझे आज मिली किसी और की तलाश करते हुए। ©.... "

बरसों से जिसकी तलाश में थे, उसका एक अंश मुझमें ही कहीं दबी रेह गई थी...! और वो मुझे आज मिली किसी और की तलाश करते हुए। ©....

#we poem

People who shared love close

More like this

Trending Topic