White वादे हज़ार करके भी चला जाता।
ऐसा मुसाफिर तो हर जगह मिल जाता।।
बिना शर्त के जो निभा जाये।
वो फरिश्ता कहा से लाये।।
जिसे मन याद करके मुस्कराता ।
वो प्यारा दोस्त सा कहाँ से पाये।।
रिश्ता तो बखूब ए दिल निभा जाता ।
पर जो दिल से निभाये वो रिश्ता कहा पाये।।
माना की किस्मत रूठ जाती हैं।
ठोंकर लगी तो कांच सी टूट जाती हैं।।
जो संभाल ले वो पतवार कहाँ से लाये।
जो टूटने से पहले सहारा दे वो यार कहाँ से लाये।।
मिल जाते हैं दोस्त बहुत नकाब पहनकर।
यार ऐसे दोस्तों को निभाने का हुनर हम कहाँ से लाये।।
या तो औरों जैसे हम बन जाये।
या इस दुनिया में कहीं गुम हो जाये।।
©chahat