क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो, 🌺 सोये ह | हिंदी कविता Video

"क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो, 🌺 सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है? 🌥🌥 इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​, 🤐​ ​​कहते हैं लग जाती है अपनों की नजर भी​। 🙌🌥🌷🌷 शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नजर आज, 😲 ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज। 👌🌻🌻😊 उसको सजने की संवरने की जरूरत ​ही नहीं​​, 😊​ ​उसपे सजती है हया भी किसी जेवर ​की तरह। 🌻🙌😲🙃 नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, 🥺 कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता। 🙃😊🙏🌻 ©Ramlakhan Jaiswal "

क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो, 🌺 सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है? 🌥🌥 इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको​, 🤐​ ​​कहते हैं लग जाती है अपनों की नजर भी​। 🙌🌥🌷🌷 शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नजर आज, 😲 ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज। 👌🌻🌻😊 उसको सजने की संवरने की जरूरत ​ही नहीं​​, 😊​ ​उसपे सजती है हया भी किसी जेवर ​की तरह। 🌻🙌😲🙃 नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, 🥺 कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता। 🙃😊🙏🌻 ©Ramlakhan Jaiswal

#sadak

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