उसके केश सजे गुलाब से,
खिलते फूलों का ताज लिए।
चमक रहे थे वो बाल उसके,
सूरज की पहली रोशनी में नहाए।
गुलाब की पंखुड़ियों सा कोमल,
उसके स्पर्श में थी मिठास।
बहारों का संगीत सुनाते,
जैसे हवा में घुली हो खुशबू उसकी आवाज।
उसकी आँखों में चमक थी ऐसी,
जैसे गुलाबों के बगीचे में भोर।
उसकी मुस्कान में छिपी थी,
जीवन की सरलता और प्यार की भोर।
उसके बालों पर गुलाब का खिलना,
बता रहा था एक नया सवेरा।
जीवन के हर रंग को चुनती,
वो चली अपनी राह पर, बिना किसी डरा।
©Love Joshi
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