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राहत इन्दौरी साहब को समर्पित अब ना मैं हूँ ! ना ब | हिंदी शायरी

"राहत इन्दौरी साहब को समर्पित अब ना मैं हूँ ! ना बची साँसें जीने के बहाने मेरे फिर भी मशहूर हैं ! आपके शहर में फसाने मेरे इल्तिजा है ! रखना ख्याल नज्म़ अफसाने मेरे मिला सबसे हूँ ! ना है कोई शहर में अंजाने मेरे ©Anushi Ka Pitara"

 राहत इन्दौरी साहब को समर्पित

अब ना मैं हूँ ! ना बची साँसें जीने के बहाने मेरे
फिर भी मशहूर हैं ! आपके शहर में फसाने मेरे
इल्तिजा है !  रखना ख्याल नज्म़ अफसाने मेरे
मिला सबसे हूँ ! ना है कोई शहर में अंजाने मेरे

©Anushi Ka Pitara

राहत इन्दौरी साहब को समर्पित अब ना मैं हूँ ! ना बची साँसें जीने के बहाने मेरे फिर भी मशहूर हैं ! आपके शहर में फसाने मेरे इल्तिजा है ! रखना ख्याल नज्म़ अफसाने मेरे मिला सबसे हूँ ! ना है कोई शहर में अंजाने मेरे ©Anushi Ka Pitara

#rahatindori

#RIPRahatIndori

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