एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु । इतना सम्मान | हिंदी कविता Video

"एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु । इतना सम्मान मुझको न देना प्रभु । खुद को खुद से ही ऊपर मैं मान लूं । अहम इतना बढे कि सीना तान लूं । तेरी चौखट पे सर ये झुके ना प्रभु । मुझे जो भी देना कर लेना ये तय। जिंदगी में निश्छल रहूं और अभय। मेरे हाथों किसी का बिगड़े ना प्रभु। मैं चलूं तो अहित भी किसी का न हो। हमसे कोई भी मित्र खफा ना हो । दिल में उसके कांटा चुभे ना प्रभु । कभी भी हम किसी का बुरा ना करें । काम कोई बचे ना पूरा ना करें । हम चाहें और कोई हंसे ना प्रभु । यह रिश्ता भुलाए न भूले कभी। ये कंधा मिला कर चले हम सभी । कोई रास्ता में पीछे छूटे ना प्रभु। असमंजस में भी हम कभी ना फंसें। उतरें खरा जब कसौटी में कसें। कोई इल्जाम हम पर लगे ना प्रभु । एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु । इतना सम्मान मुझको ना देना प्रभु। सुनील गुप्ता केसला रोड सीतापुर ©Sunil Gupta "

एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु । इतना सम्मान मुझको न देना प्रभु । खुद को खुद से ही ऊपर मैं मान लूं । अहम इतना बढे कि सीना तान लूं । तेरी चौखट पे सर ये झुके ना प्रभु । मुझे जो भी देना कर लेना ये तय। जिंदगी में निश्छल रहूं और अभय। मेरे हाथों किसी का बिगड़े ना प्रभु। मैं चलूं तो अहित भी किसी का न हो। हमसे कोई भी मित्र खफा ना हो । दिल में उसके कांटा चुभे ना प्रभु । कभी भी हम किसी का बुरा ना करें । काम कोई बचे ना पूरा ना करें । हम चाहें और कोई हंसे ना प्रभु । यह रिश्ता भुलाए न भूले कभी। ये कंधा मिला कर चले हम सभी । कोई रास्ता में पीछे छूटे ना प्रभु। असमंजस में भी हम कभी ना फंसें। उतरें खरा जब कसौटी में कसें। कोई इल्जाम हम पर लगे ना प्रभु । एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु । इतना सम्मान मुझको ना देना प्रभु। सुनील गुप्ता केसला रोड सीतापुर ©Sunil Gupta

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