एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु ।
इतना सम्मान मुझको न देना प्रभु ।
खुद को खुद से ही ऊपर मैं मान लूं ।
अहम इतना बढे कि सीना तान लूं ।
तेरी चौखट पे सर ये झुके ना प्रभु ।
मुझे जो भी देना कर लेना ये तय।
जिंदगी में निश्छल रहूं और अभय।
मेरे हाथों किसी का बिगड़े ना प्रभु।
मैं चलूं तो अहित भी किसी का न हो।
हमसे कोई भी मित्र खफा ना हो ।
दिल में उसके कांटा चुभे ना प्रभु ।
कभी भी हम किसी का बुरा ना करें ।
काम कोई बचे ना पूरा ना करें ।
हम चाहें और कोई हंसे ना प्रभु ।
यह रिश्ता भुलाए न भूले कभी।
ये कंधा मिला कर चले हम सभी ।
कोई रास्ता में पीछे छूटे ना प्रभु।
असमंजस में भी हम कभी ना फंसें।
उतरें खरा जब कसौटी में कसें।
कोई इल्जाम हम पर लगे ना प्रभु ।
एक विनती मेरी सुन लेना प्रभु ।
इतना सम्मान मुझको ना देना प्रभु।
सुनील गुप्ता
केसला रोड सीतापुर
©Sunil Gupta
#Gurupurnima