✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझ आ जायेगा तुम्हें...✍️ | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझ आ जायेगा तुम्हें...✍️ आईने से रूबरू हो और चेहरा किसी और का नज़र आये । 'मैं'और 'तुम' का 'हम' हो जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। दिल्लगी जब दिल की लगी बन जाये किसी से मिलकर । इश्क़ के मन्ज़र में पड़ जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। किसी का ख़्याल जब जहन में दिन -रात चलता रहता हो । दिल का घरौंदा बन जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। मुस्कराहट आ जाये किसी के ज़िक्र से तुम्हारे चेहरे पर । मन का कहीं लग जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। कितना हो गया है कोई सफ़र-ए-ज़िन्दगी में तुम्हारा । उसके बिना एक पल रह पाना फ़िर समझ आयेगा तुम्हें ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव"

 ✍️आज की डायरी✍️

    ✍️ समझ आ जायेगा तुम्हें...✍️

आईने से रूबरू हो और चेहरा किसी और का नज़र आये ।
'मैं'और 'तुम' का 'हम' हो जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।।

दिल्लगी जब दिल की लगी बन जाये किसी से मिलकर ।
इश्क़ के मन्ज़र में पड़ जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।।

किसी का ख़्याल जब जहन में दिन -रात चलता रहता हो ।
दिल का घरौंदा बन जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।।

मुस्कराहट आ जाये किसी के ज़िक्र से तुम्हारे चेहरे पर ।
मन का कहीं लग जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।।

कितना हो गया है कोई सफ़र-ए-ज़िन्दगी में तुम्हारा ।
उसके बिना एक पल रह पाना फ़िर समझ आयेगा तुम्हें ।।

✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

✍️आज की डायरी✍️ ✍️ समझ आ जायेगा तुम्हें...✍️ आईने से रूबरू हो और चेहरा किसी और का नज़र आये । 'मैं'और 'तुम' का 'हम' हो जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। दिल्लगी जब दिल की लगी बन जाये किसी से मिलकर । इश्क़ के मन्ज़र में पड़ जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। किसी का ख़्याल जब जहन में दिन -रात चलता रहता हो । दिल का घरौंदा बन जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। मुस्कराहट आ जाये किसी के ज़िक्र से तुम्हारे चेहरे पर । मन का कहीं लग जाना फ़िर समझ आ जायेगा तुम्हें ।। कितना हो गया है कोई सफ़र-ए-ज़िन्दगी में तुम्हारा । उसके बिना एक पल रह पाना फ़िर समझ आयेगा तुम्हें ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

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