दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर ब | हिंदी शायरी

"दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर बने हैं ज़ख़्म, भर क्यूं नहीं जाते ।। अब तो गुज़र चुके हैं मौसम कई 'प्रीत'। बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।। ‌ ‍ पीयू 'प्रीत' ©pushpendra naruka"

 दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर बने हैं ज़ख़्म, भर क्यूं नहीं जाते ।।

अब तो गुज़र चुके हैं मौसम कई 'प्रीत'।
 बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।।
         ‌   ‍                        
                             पीयू 'प्रीत'

©pushpendra naruka

दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर बने हैं ज़ख़्म, भर क्यूं नहीं जाते ।। अब तो गुज़र चुके हैं मौसम कई 'प्रीत'। बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।। ‌ ‍ पीयू 'प्रीत' ©pushpendra naruka

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