मकर संक्रांति पर पतंगबाजी, गीत-संगीत, और मेले जैस | हिंदी विचार

"मकर संक्रांति पर पतंगबाजी, गीत-संगीत, और मेले जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। क्षेत्रीय विविधताएँ: उत्तर भारत: इसे "खिचड़ी" पर्व कहते हैं। गंगा स्नान और तिल-गुड़ खाने का प्रचलन है। पश्चिम भारत: महाराष्ट्र में "तिलगुल" बांटकर "मीठा बोलो" का संदेश दिया जाता है। दक्षिण भारत: इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पूर्व भारत: बंगाल में गंगा सागर मेले का आयोजन होता है। पंजाब: इसे "माघी" के रूप में मनाया जाता है। ©विष्णु कांत"

 मकर संक्रांति पर पतंगबाजी, गीत-संगीत, 
और मेले जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित 
किए जाते हैं। यह पर्व समाज में एकता 
और भाईचारे का संदेश देता है।

क्षेत्रीय विविधताएँ:

उत्तर भारत: इसे "खिचड़ी" पर्व कहते हैं। 
गंगा स्नान और तिल-गुड़ खाने का प्रचलन है।

पश्चिम भारत: महाराष्ट्र में "तिलगुल" बांटकर 
"मीठा बोलो" का संदेश दिया जाता है।

दक्षिण भारत: इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

पूर्व भारत: बंगाल में गंगा सागर मेले का आयोजन होता है।

पंजाब: इसे "माघी" के रूप में मनाया जाता है।

©विष्णु कांत

मकर संक्रांति पर पतंगबाजी, गीत-संगीत, और मेले जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है। क्षेत्रीय विविधताएँ: उत्तर भारत: इसे "खिचड़ी" पर्व कहते हैं। गंगा स्नान और तिल-गुड़ खाने का प्रचलन है। पश्चिम भारत: महाराष्ट्र में "तिलगुल" बांटकर "मीठा बोलो" का संदेश दिया जाता है। दक्षिण भारत: इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पूर्व भारत: बंगाल में गंगा सागर मेले का आयोजन होता है। पंजाब: इसे "माघी" के रूप में मनाया जाता है। ©विष्णु कांत

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