ज़ुबान को थोड़ा संभलकर बरता करो..!!! क्या हैं ना. | हिंदी शायरी

"ज़ुबान को थोड़ा संभलकर बरता करो..!!! क्या हैं ना..... कड़वी बातों के ज़ख्म' एक उम्र तक हरे रहते हैं...!!!!! 🥺🥺 ©Pinki"

 ज़ुबान को थोड़ा 
संभलकर बरता करो..!!!
क्या हैं ना.....
कड़वी बातों के ज़ख्म' 
एक उम्र तक हरे रहते हैं...!!!!!

🥺🥺

©Pinki

ज़ुबान को थोड़ा संभलकर बरता करो..!!! क्या हैं ना..... कड़वी बातों के ज़ख्म' एक उम्र तक हरे रहते हैं...!!!!! 🥺🥺 ©Pinki

jkhm

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