हम बूँद हैं , मिल जाएं तो सागर हैं। अकेल

"हम बूँद हैं , मिल जाएं तो सागर हैं। अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं। अकेले हम कागज हैं, मिल जाएं तो किताब हैं। अकेले हम अलफ़ाज़ हैं, मिल जाएं तो सुंदर रचना हैं। अकेले हम ईंट पत्थर हैं, मिल जाएं तो इमारत हैं। अकेले हम दुआ हैं, मिल जाएं तो इबादत हैं। जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है ©kAsHi MiShRa"

 हम बूँद हैं ,
          मिल जाएं तो सागर हैं।
अकेले हम धागा हैं,
          मिल जाएं तो चादर हैं।
अकेले हम कागज हैं,
          मिल जाएं तो किताब हैं।
अकेले हम अलफ़ाज़ हैं,
          मिल जाएं तो सुंदर रचना हैं।
अकेले हम ईंट पत्थर हैं,
          मिल जाएं तो इमारत हैं।
अकेले हम दुआ हैं,
          मिल जाएं तो इबादत हैं। 

जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है

©kAsHi MiShRa

हम बूँद हैं , मिल जाएं तो सागर हैं। अकेले हम धागा हैं, मिल जाएं तो चादर हैं। अकेले हम कागज हैं, मिल जाएं तो किताब हैं। अकेले हम अलफ़ाज़ हैं, मिल जाएं तो सुंदर रचना हैं। अकेले हम ईंट पत्थर हैं, मिल जाएं तो इमारत हैं। अकेले हम दुआ हैं, मिल जाएं तो इबादत हैं। जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है ©kAsHi MiShRa

#Bichar #Anubhav #kahanikaar #kahani

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