हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कौन कहता है ह | हिंदी शायरी

"हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कौन कहता है हम अकेले हैं"

 हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कौन कहता है
 हम अकेले हैं

हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कौन कहता है हम अकेले हैं

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