रूह तक छलनी हो जाती हैं जब याद किसी की आती हैं, उस | हिंदी विचार

"रूह तक छलनी हो जाती हैं जब याद किसी की आती हैं, उस शख्स से न मिलने की बेचैनी अंदर तक तोड़ जाती हैं।खुल कर बता भी नहीं पाते जज्बात अपने, बस यूं ही आंखों से नदियां बह जाती हैं। बिन बोले ही समझ ले हमें इसी उम्मीद में, ये जान अटकती जाती हैं।। ©Lovely Love"

 रूह तक छलनी हो जाती हैं जब याद किसी की आती हैं, उस शख्स से न मिलने की बेचैनी अंदर तक तोड़ जाती हैं।खुल कर बता भी नहीं पाते जज्बात अपने, बस यूं ही आंखों से नदियां बह जाती हैं। बिन बोले ही समझ ले हमें इसी उम्मीद में, ये जान अटकती जाती हैं।।

©Lovely Love

रूह तक छलनी हो जाती हैं जब याद किसी की आती हैं, उस शख्स से न मिलने की बेचैनी अंदर तक तोड़ जाती हैं।खुल कर बता भी नहीं पाते जज्बात अपने, बस यूं ही आंखों से नदियां बह जाती हैं। बिन बोले ही समझ ले हमें इसी उम्मीद में, ये जान अटकती जाती हैं।। ©Lovely Love

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