White तन्हाइयों के तजं कुछ इस कदर झेल लेता हूं
बंद कमरे में, दीवारों से बोल लेता हूं।।
राबता रहा नहीं कुछ खास दरम्यान
गर रोशनी भी आए खिड़कियां खोलकर
मैं एहतिहातन, परदे खोल देता हूं।।
खुशियों के जनाजे पर बैठ कर
खुद से दुआ सलाम बोल लेता हूं ।।
©kishori lal bror
#sad_shayari