White सर्दी की ठंडक में, शब्दों को बुनता हूँ, परछ | हिंदी Shayari

"White सर्दी की ठंडक में, शब्दों को बुनता हूँ, परछाइयों की संगति में, जीवन को चुनता हूँ। चंचल चिड़ियों सी, उड़ना चाहता हूँ, कठिन संघर्षों से, डरना नहीं जानता हूँ। मनमोहक खुशियों को, दिल में संजोता हूँ, हर पल को जीता हूँ, मानो यही अंतिम हो। अतीत के घावों को भरते हुए, भविष्य की ओर बढ़ता हूँ, एक ओर तन्हाई, दूसरी ओर आशा, सूरज की आखिरी किरण में, जीवन की कहानी लिखता हूँ। ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]"

 White सर्दी की ठंडक में, शब्दों को बुनता हूँ,
 परछाइयों की संगति में, जीवन को चुनता हूँ।
 चंचल चिड़ियों सी, उड़ना चाहता हूँ,
 कठिन संघर्षों से, डरना नहीं जानता हूँ।
 मनमोहक खुशियों को, दिल में संजोता हूँ, 
हर पल को जीता हूँ, मानो यही अंतिम हो।
 अतीत के घावों को भरते हुए, भविष्य की ओर बढ़ता हूँ,
 एक ओर तन्हाई, दूसरी ओर आशा, 
सूरज की आखिरी किरण में, जीवन की कहानी लिखता हूँ।

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

White सर्दी की ठंडक में, शब्दों को बुनता हूँ, परछाइयों की संगति में, जीवन को चुनता हूँ। चंचल चिड़ियों सी, उड़ना चाहता हूँ, कठिन संघर्षों से, डरना नहीं जानता हूँ। मनमोहक खुशियों को, दिल में संजोता हूँ, हर पल को जीता हूँ, मानो यही अंतिम हो। अतीत के घावों को भरते हुए, भविष्य की ओर बढ़ता हूँ, एक ओर तन्हाई, दूसरी ओर आशा, सूरज की आखिरी किरण में, जीवन की कहानी लिखता हूँ। ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

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